स्वयं के संग

आईए आज स्वयं के बारे में कुछ विचार करते है. अपने जीवन को एक नज़र देखते है हम क्या कर रहे है, हम क्यों कर रहे है.अभी तक हमने क्या हासिल किया है और क्या खोया है.हम सुखी और आनंदित होना चाहते है परन्तु हम हमेसा परेशान ही क्यों रहते है. आखिर क्यों हम इतने प्रयास के बावजूद भी सुख और शांति को प्राप्त करने में सफल नहीं होते. हमें इन विसयो पर गौर करना अति आवस्यक है, अन्यथा हमारा पूरा जीवन यु ही बीत जाएगा और हम सुख और शांति पूर्ण जीवन का ख्वाब ही देखते रहेंगे . हमें कुछ समय स्वयं के लिए देना ही होगा.

क्या कभी हमने सोचा है की हम हमारे लिए, स्वयं के लिए क्या कर रहे है. हम ऐसा क्या कर रहे है जिससे हमें स्वयं को आनंद और शांति मिले . अनजाने में हम सब यही समझते है की हम जो कुछ भी कर रहे है, अपने लिए ही कर रहे है, जीवन को सुखद बनाने के लिए ही कर रहे है , लेकिन वास्तव में यह हमारा भ्रम है क्योकि हमारे कर्मो से हमें कोई सुख शांति तो मिलती नहीं उलटा हमें तरह तरह के कस्ट ही मिलते है. कर्म करने में कोई बुराई नहीं है, कर्म तो करना ही पडेगा लेकिन जागरूक रहकर, होस में रहकर, सजगता से, विवेकपूर्ण होकर , अपने हित और अनहित का ख़याल रखकर . आज हम खुद को भूल गए है, यह अवस्य ही अच्छी बात नहीं है. हमे खुद के बारे में भी सोंचना चाहिए और कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमारा विकाश हो. हमारा स्वयं का विकास हो , जिससे हमें, स्वयं को आनंद और शांति मिले .

हमारे पास सब के लिए कुछ न कुछ समय है,पत्नी के लिए, पति के लिए , बच्चो के लिए ,परिवार के लिए , दोस्तों के लिए , समाज के लिए, ब्यवसाय के लिए, जाति या धर्म के लिए , पैसे के लिए ,भौतिक सुख साधन के लिए , नाम के लिए इस तरह अनेक कारन है हमारी ब्यस्तता के, किसी किसी को तो वक्त पर खाने का , वक्त पर सोने का भी समय नहीं मिलता. इसी सब में पूरा जीवन निकल जाता है परन्तु कुछ भी हासिल नहीं होता ,बस लगे हुए है, सब ऐसा कर रहे है इसी लिए हम भी कर रहे है, संघर्ष बहुत कर रहे है लेकिन हासिल कुछ भी नहीं होता, एक इच्छा पूरी होते ही दूसरी इच्छा का जन्म होजाता है और हमारी स्थिति ज्यो की त्यों बनी रहती है . पता नहीं किस अंधी दौड़ में लगे हुए है ,पता नहीं क्या पाना चाहते है हम .

थोड़ा ठहरिए , थोड़ा विचार कीजिए की हमें क्या चाहिए . हम ऐसा क्या पाना चाहते है जिसके लिए हम पूरी जिंदगी संघर्ष करते रहते है फिरभी वह हमें नहीं मिलता. कोल्हू के बैल की तरह चक्कर काटते रहते है और कही पहुँचते ही नहीं, ऐसे प्रश्न स्वयं से ही कीजिए. आप पाएंगे कुछ गड़बड़ जरूर है. या तो मेरा रास्ता गलत है या हमारी मंजिल ही काल्पनिक है अन्यथा जीवन भर का सफर कोई छोटा सफर तो नहीं होता.

बाहर बहुत भाग दौड़ कर लिया आइये अब अंदर की यात्रा सुरु करते है क्युकी यदि सुख शांति बाहर होता तो मिल ही गया होता इसलिए अब अंदर की ओर रुख करते है . आइये जीवन में मैडिटेशन, ध्यान का समावेश करते है. आइये कुछ समय खुद के साथ बिताते है जहा मेरे सिवा कोई और न हो . न तो कोई इच्छा हो , न कोई कामना हो, न कोई दुःख हो न कोई सुख हो, न कोई दोस्त हो न कोई दुसमन हो, न कोई लछ्य हो न कोई प्रायश्चित , न कोई अपना न कोई पराया , बस मै अकेला बिलकुल अकेला . मै और मेरी सांसे एकांत में कुछ पल के लिए एक साथ यहाँ तक की कोई विचार भी हमारे साथ न हो अपने विचारो से भी दूरी बना लो .आस पास दुनिया है , सारा परिवार है , सारा समाज है परन्तु मै बिलकुल अकेला हु , बिलकुल अकेला ,मेरे साथ , स्वयं के साथ , बस कुछ पल के लिए अकेलेपन का अहसास कीजिए , अनुभव कीजिए और देखिए कितना सुखद है अपना साथ , कितना प्यारा है अपना घर , कितना सुकून है अपने इस घरमे , कबसे बाहर निकले है, कबसे भटक रहे है ,बहुत थक चुके है , कही पर शांति नहीं मिली, कही आनंद नहीं मिला , बहुत भाग दौड़ कर चुके ,अब वापस आने का समय आ गया है , कब से आप का यहाँ इंतज़ार है, आपका स्वागत है , खुद के साथ ये बेरुखी अच्छी नहीं है ,

आईये आज ही इच्छा करे , संकल्प करे , स्वयं के लिए कुछ करने की, खुद को पहचानने की, खुद को जानने की , खुद के साथ कुछ वक्त बिताने की ,खुद से दोस्ती करने की ,ध्यान की सुरुआत करने की , इस इच्छा को हवा दे, इस इच्छा को तीब्रता दे, शक्ति दे , थोड़ी देर के लिए ही सही, कुछ पल के लिए ही सही ,यदि हमारे अंदर ये इच्छा प्रज्वलित हुई ,यदि हम ऐसा संकल्प करने में सफल रहे तो हमारा सौभाग्य . जीवन में बदलाव की यह पहली सीढ़ी है , पहला कदम है.
आप के जीवन में यह शुभ घटना शीघ्र ही घटित हो यही हमारी आत्मिक इच्छा है.

धन्यवाद.

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